रविवार, 30 सितंबर 2012


कवि !
क्या तुम लिख सकते हो ??

बारिस की बूंदों की टप टप
उन मस्त हवाओं की सर सर
झरनों की ध्वनियों  की सरगम
स्पंदन , ह्रदय तंतु धड़कन  !!
यह  शब्द  नहीं संगीत है .....
क्या लिख सकते हो ??

शिव डमरू के डम डम का नाद
शिव शिव के मध्य घटा संवाद
काली का गर्जन
भैरव का नर्तन
उस परब्रम्ह परमात्मा के
पूरी श्रृष्टि का चित्रण
उस महा सूर्य का ताप
और उस पूर्ण चन्द्र के
किरणों का शीतल प्रकाश !!
यह शब्द नहीं यह ऊर्जा है ....
क्या लिख सकते हो ???

एक माँ की ममता की पुकार
उस फटे हाल अबला की लाज
प्रेमी के ह्रदय से उठी पीर
दुखिया के आंसूं की आवाज़ !!
यह भाव है कोई शब्द  नहीं ......
क्या लिख सकते हो ???
कवि क्या लिख सकते हो ??????????

--स्वामी अनंत चैतन्य -- लखनऊ ---


गुरुवार, 27 सितंबर 2012


अनाथ मानवता

अनाथालयों में
रोती , बिलखती
अनाथ मानवता !!

सड़कों के किनारों पर
सर्दियों में ठिठुरती
गर्मियों की तपिस में तपती
पंगु सामाजिकता  !!

घरों में भी तो
बूढ़े माँ बाप
पिस रहे है
खुद की ही संतानों के बीच
कौन करे देखभाल
और संभाल 
गन्दी हुयी मानसिकता  !!

मानवता अनाथ न हो
और दम न घोटे !
विषय की गंभीरता पर
आगे बढे , कुछ सोचे !!

--स्वामी अनंत चैतन्य -- लखनऊ ---







जीवन मृत्यु

काल के गाल में
सब कुछ समायेगा !
जो भी यहाँ जन्मा है
निश्चित ही ! मृत्यु भी पायेगा !!

एक पवित्र आत्मा है
अद्भुत ! अगम्य !
मृत्यु रहित , जन्म रहित
पूर्ण चैतन्य !!

जन्म भी नहीं
और मृत्यु भी नहीं !
नित नूतन और पावन
जन्मेजयी ! कालजयी !!

सब कुछ यही मिला
देह, गेह , संपत्ति !
मेरा जो है ही नहीं
क्यों फिर आशक्ति !!
--स्वामी अनंत चैतन्य --लखनऊ --

बुधवार, 26 सितंबर 2012


मै ( I ) v/s मै ( ego )

मै ,
रहता हूँ प्रतिपल
अपने मै के  साथ !
दिन व् रात !!

मै और मेरे मै में
द्वन्द छिड़ा रहता है !
मेरा मै , मेरे मै पर
हमेशा ही भारी रहता है !!
मै के आगे मै बढ़ न पाया !
मै ने हर बार ही ,  अडंगा लगाया !!

हर राग द्वेष में
मुख्य अतिथि बन आया !
आग में घी बन कर
उसे और तीव्र जलाया !!

काश मेरा मै न होता
तो , मै कितना सहज और सरल होता !
पत्थर सा कठोर नहीं
गंगा जल सा तरल होता !!

मेरे मै के कारण
मै , अपने मै में ना रहता  !
बहुतों के दिलों में रहता !!
अनंत , अक्षय , ऊर्जा में
चैतन्य पूर्ण बहता !!
--स्वामी अनंत चैतन्य -- लखनऊ ---

खुशियाँ
नहीं मनाई जाती
किसी के आंसूओं पर बैठ कर !
क्योकि ,
वहाँ रुक न पाओगे  !
नीचे गिर जाओगे !!
उसके आँखों के आंसू की नमी
सुखा देगी ,
हृदय की जमीन को
फिर उस बंजर में
उगा न पाओगे
कभी प्रेम और करूणा के बीज !!
--स्वामी अनंत चैतन्य -- लखनऊ ---

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

खुशियों का रिमोट

अपनी खुशियों का रिमोट
क्यों दूं , किसी के हाथ !
जो मन पसंद चैनल की तरह
मेरे जज्बातों को बदलता रहे !!

नहीं बनाना है मुझे
किसी की हाथों की कठपुतली
जो मनमाने तरीके से
कभी राजा तो कभी रंक का
किरदार बदलता रहे !!

नहीं डाला मैंने
अपने मन के
कंप्यूटर पर
ऐसे  सॉफ्टवेर
जिस पर कोई भी बार बार
प्रोग्राम बदलता रहे !!

मेरे अपने सिस्टम में
अपनी दुनिया बनायीं है
जिसमे प्रवेश का अधिकार
मेरी आज्ञानुसार है !

मेरी दुनिया की अलग ही प्रकृति  है
जिसमे झर झर झरने
कल कल नदिया
सुरभित बगिया
किलोरे मारते हिरन और उनके छौने
गुंजित भौरे , नाचते मोर , चहकते चकोर
मेरे ह्रदय के झील में
खिले हुए पंकज
विचरते राजहंस
चंदा की परछाई
कूल पर विचरती परियां
मंद पवन है !!
तुम आ सकते हो , आओ ...
किन्तु शुद्ध और सरल भाव से
मेरी चैतन्यता में तुम भी खो जाओ  !!

----स्वामी अनंत चैतन्य --लखनऊ ---


"सोहम "

साँसों के झूले पर
"सोहम " की मस्ती में !
झूल रहा हो प्रतिपल
प्राणों की रस्सी में !!
"मेरुदंड " डंडा है
उसपर मै बैठा हूँ !
अस्तित्व  आधार ,
वही से मै बहता हूँ !!
साक्षी सब देख रहा
रोम रोम रोमांचित !!
अनंत चैतन्य प्रवाह
तन मन प्रकाशित !!
--स्वामी अनंत चैतन्य - लखनऊ --

....जब पापा ने कहा था ,
बेटे अंकल से कह दो " पापा घर में नहीं है "
बेटे ने तो बस यही तो कहा था --
" पापा ने कहा है पापा घर में नहीं है "
तब तक उसने नही जाना था ,
नहीं समझा था ,
झूठ क्या है ?
फरेब क्या है ??
बड़ा हुआ , सोचा समझा ,
उस बात का मतलब भी जाना जो ,
पापा ने कहा था !!
अब,
पापा कहते है --" तू झूठ बोलता है ? "
सोचो ,
उस झूठ का कौन है दोषी ?
और कहा खो गयी उस मासूम की
निर्दोष सी हंसी !
" पापा तुम्ही बताओ " ??
---स्वामी अनंत चैतन्य --लखनऊ --