रविवार, 27 मई 2012

जीवन ज्योति बन जाऊं मै ..

जीवन ज्योति बन जाऊं मै ..

तम में ,
भटकते पथिक ,
मत हो व्यथित !
पथ पर आकर तेरे 
दीपक बन जाऊं मै .
रास्ता दिखलाऊँ  मै 
सूत्र फिर से "आपो दीपो भव् " का 
फिर से सिखलाऊँ मै !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै  !!

हर किसी के  पास  फिर से ,
विरह जन्य  गोपियो से 
ताप सब 
संताप  सब 
वृन्दावन का महा रास बन 
नृत्य सिखलाऊँ  मै 
हास परिहास बन कर 
फिर से हसाऊँ मै  !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै  !!

तेरी बगिया  में आकर 
कोयल की कूँ कूँ और 
भौरों  का गुंजन बन 
फुनगी से फुनगी तक 
उन्मुक्त पक्षी  बन ,
उड़ना सिखलाऊँ मै !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै !!

आओ मेरे पास मित्रों ,
मत हो उदास मित्रो 
ह्रदय की ज्वाला से 
भभकते हुए शोलों को 
करुना की धारा बन 
नयनों में आंसूं बन 
शीतल कर जाऊं मै  !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै !!

 ***** अनंत चैतन्य - लखनऊ  *****

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