जीवन ज्योति बन जाऊं मै ..
तम में ,
भटकते पथिक ,
मत हो व्यथित !
पथ पर आकर तेरे
दीपक बन जाऊं मै .
रास्ता दिखलाऊँ मै
सूत्र फिर से "आपो दीपो भव् " का
फिर से सिखलाऊँ मै !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै !!
हर किसी के पास फिर से ,
विरह जन्य गोपियो से
ताप सब
संताप सब
वृन्दावन का महा रास बन
नृत्य सिखलाऊँ मै
हास परिहास बन कर
फिर से हसाऊँ मै !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै !!
तेरी बगिया में आकर
कोयल की कूँ कूँ और
भौरों का गुंजन बन
फुनगी से फुनगी तक
उन्मुक्त पक्षी बन ,
उड़ना सिखलाऊँ मै !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै !!
आओ मेरे पास मित्रों ,
मत हो उदास मित्रो
ह्रदय की ज्वाला से
भभकते हुए शोलों को
करुना की धारा बन
नयनों में आंसूं बन
शीतल कर जाऊं मै !
जीवन ज्योति बन जाऊं मै !!
***** अनंत चैतन्य - लखनऊ *****
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