गुरुवार, 5 जून 2014

आशा की ओर..........

आ गयी है सुबह जैसी ताजगी फिर
आस की किरणे पुनः जागने लगी है
तुम मिले तो प्राणमय जीवन खिला है
पीर भी अब पिघल कर बहने लगी है !!१!!

बीज फिर से अंकुरित होने लगा है
ओस ने स्पर्श से फिर गुदगुदाया
चहचहाते पंछियों की ऋतु बसंती
कर्णप्रिय एक गीत फिर से गुनगुनाया !!२!!

वक्त के इन चंद से लम्हों को ले लूँ
गूंथ कर माला में पहनूं उम्र भर तक
निकल आया हूँ निराशा की घडी से
रोशनी में डूब जाऊँगा मै सिर तक !!३!!

मन की लहरे उठती गिरती रहती  नित पल
गति हमेशा आगे को चलना  सिखाये
कौन कब तक साक्षी बन कर देखे इनको
समय की धरा को यह आगे बढ़ाये !! ४ !!

----श्रवण कुमार मिश्रा -----
------लखनऊ ------
पर्यावरण दिवस

जल अग्नि आकाश वायु थल
जब तक सारे शुद्ध न होंगे !
परमाणु हथियार बढे है
कैसे कहेंगे युद्ध न होंगे !! १ !!

जीव जंतु औषधियां सारी
निर्भर है इन पांच तत्व पर
नदियां दूषित वायु प्रदूषित
जनसँख्या बढ़ती घनत्व पर !!२!!

प्रकृति सम्पदाओं का दोहन
नैसर्गिक सुख नष्ट हुआ है
चक्र बदलता मानसून का
देखो कितना कष्ट हुआ है !!३!!

कंक्रीटों का जंगल बाढ़ा
ग्लोबल वार्मिंग है मुँह बाये
प्लास्टिक राख व् कूड़ा करकट
उर्वरकों का युग ले आये !!४!!

घातक बीमारी है आयी
प्रादुर्भाव हुआ रोगों का
उपभोक्तावादी दुनिया है
बढ़ते साधन उपभोगों का !!५!!

पर्यावरण दिवस न भूलो
प्रतिदिन इसको याद करो
पांच तत्व की इस दुनिया से
सब मिल करके प्यार करो !!६!!

----श्रवण कुमार मिश्रा -----
------लखनऊ ------