आशा की ओर..........
आ गयी है सुबह जैसी ताजगी फिर
आस की किरणे पुनः जागने लगी है
तुम मिले तो प्राणमय जीवन खिला है
पीर भी अब पिघल कर बहने लगी है !!१!!
बीज फिर से अंकुरित होने लगा है
ओस ने स्पर्श से फिर गुदगुदाया
चहचहाते पंछियों की ऋतु बसंती
कर्णप्रिय एक गीत फिर से गुनगुनाया !!२!!
वक्त के इन चंद से लम्हों को ले लूँ
गूंथ कर माला में पहनूं उम्र भर तक
निकल आया हूँ निराशा की घडी से
रोशनी में डूब जाऊँगा मै सिर तक !!३!!
मन की लहरे उठती गिरती रहती नित पल
गति हमेशा आगे को चलना सिखाये
कौन कब तक साक्षी बन कर देखे इनको
समय की धरा को यह आगे बढ़ाये !! ४ !!
----श्रवण कुमार मिश्रा -----
------लखनऊ ------
आ गयी है सुबह जैसी ताजगी फिर
आस की किरणे पुनः जागने लगी है
तुम मिले तो प्राणमय जीवन खिला है
पीर भी अब पिघल कर बहने लगी है !!१!!
बीज फिर से अंकुरित होने लगा है
ओस ने स्पर्श से फिर गुदगुदाया
चहचहाते पंछियों की ऋतु बसंती
कर्णप्रिय एक गीत फिर से गुनगुनाया !!२!!
वक्त के इन चंद से लम्हों को ले लूँ
गूंथ कर माला में पहनूं उम्र भर तक
निकल आया हूँ निराशा की घडी से
रोशनी में डूब जाऊँगा मै सिर तक !!३!!
मन की लहरे उठती गिरती रहती नित पल
गति हमेशा आगे को चलना सिखाये
कौन कब तक साक्षी बन कर देखे इनको
समय की धरा को यह आगे बढ़ाये !! ४ !!
----श्रवण कुमार मिश्रा -----
------लखनऊ ------