माँ
माँ जब जब तेरी याद आई !
आँखे डबडबाई !!
तेरे हांथों से दुलराया जाना !
मेरे गालों को सहलाया जाना !
अपनी गोदी में चिपकाया जाना !
रूठ जाएँ तो मनाया जाना !
थपकिया दे करके सुलाया जाना !
अपने आँचल में छिपाया जाना
याद आते ही यह बाते !
आजाती है रुलाई !!
गलतियाँ मेरी हो फिर भी
डॉक्टर से दवा लाना !
दूध न पीने पर
चंदा मामा को बुला लाना !
तेरे बिन माँ , कितना अधूरा हूँ!
सोचा तो हूक उठ आई !!
तेरी यादें ही शेष है ,
स्मृतिया जो विशेष है !
धरोहर है यह मेरी ,
जिन्हें खोना नहीं चाहूँ !
तुझे तकलीफ न हो मां,
अतः रोना नहीं चाहूँ !
यह यादें खर्च न होंगी !
यही मेरी कमाई है !!
आज जैसा भी , जो भी हूँ ,
मेरे घर का हर एक कोना !
चर्चा होती ही तेरी बातों का ,
जुबान यह कपकपाई !!
मुझे निर्दोष बतलाना !
जरा सी छींक आने पर ,डॉक्टर से दवा लाना !
दूध न पीने पर
चंदा मामा को बुला लाना !
तेरे बिन माँ , कितना अधूरा हूँ!
सोचा तो हूक उठ आई !!
तेरी यादें ही शेष है ,
स्मृतिया जो विशेष है !
धरोहर है यह मेरी ,
जिन्हें खोना नहीं चाहूँ !
तुझे तकलीफ न हो मां,
अतः रोना नहीं चाहूँ !
यह यादें खर्च न होंगी !
यही मेरी कमाई है !!
आज जैसा भी , जो भी हूँ ,
तेरे आशीष से हूँ !
तेरे बिन लगता इस जीवन में , सूखी झील सा हूँ !
कितना खाली सा दिखता है ,मेरे घर का हर एक कोना !
चर्चा होती ही तेरी बातों का ,
जुबान यह कपकपाई !!
bahut hi badhiya sir ji
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