गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

धूल के एक कण ने कहा..

धूल के एक कण ने कहा
मुझे देख
मै कभी पहाड़
..फिर चट्टान  बाद में कंकण
अब मात्र कण रह गयी हूँ
..और तेरे पैरों तले पडी हूँ
वक्त कभी किसी का न था
न हुआ है
तू संभल संभल कर चला कर
अस्तित्व जिधर भी ले जाए
उसी के साथ साथ बहा कर
--अनंत चैतन्य





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