आज की महाभारत
दोनों आँखों पट्टी बाँधी , गांधारी , अभिभावक बन के !
माला परिवार की विखर गयी व टूटे है सारे मनके !!१ !!
धृतराष्ट्र अँधेरे में बैठे , संस्कार दिया न बच्चों को !
करते हैअवज्ञा चीर हरण और भूल चुके है लक्षो को !! 2 !!
लाक्षागृह सी स्थिति घर में , षड़यंत्र , जुआ ,परिहास करे !
मनमानी उन पर करते है ,जो विदुर सरीखी बात करें !! ३!!
कुछ भीम , युधिस्ठिर , अर्जुन हो , जो तोड़ें उनकी जंघाए !
माना की वह थोड़े होंगे , पर शान्ति अनुशासन लाये !! ४ !!
अब आयें कुंती माँ बनकर , पांडवों से बच्चें , फिर से जने !
हर दुःख , अभाव व कुसमय में , तप करके संस्कृतिवान बने !! ५ !!
बच्चो गांडीव गदा ले लो , फिर धर्म युद्ध की बात करो .!
द्रोपदी कृष्ण अभी जिन्दा है , तुम आस रखो विश्वाश करो !! ६ !!
द्रोपदी के आँख न आंसूं हो , कुंती माँ भी अब न रोयें !
घनश्याम का संग करें बेटे , सुख शान्ति से दुनिया सोये !! ७ !!
जब भेद भाव से युक्त द्रोण , जब गुरु शिष्य परंपरा खो देंगे !
अर्जुन भी गुरु को मारेगा , एकलव्य भले ही रो देंगे !! ८ !!
हे भीष्म को गए बूढ़े तुम , चुपचाप तमाशा देखो ना !
वनवास हेतु प्रस्थान करो , अब राज सभा में बैठो ना !! ९ !!
यह, देश , समाज की बाते है , घर घर की यही कहानी है !
पांडव कौरव से युद्ध करें , युग युगांतर दोहरानी है !! १० !!
-------------- अनंत चैतन्य - लखनऊ -------------------
दोनों आँखों पट्टी बाँधी , गांधारी , अभिभावक बन के !
माला परिवार की विखर गयी व टूटे है सारे मनके !!१ !!
धृतराष्ट्र अँधेरे में बैठे , संस्कार दिया न बच्चों को !
करते हैअवज्ञा चीर हरण और भूल चुके है लक्षो को !! 2 !!
लाक्षागृह सी स्थिति घर में , षड़यंत्र , जुआ ,परिहास करे !
मनमानी उन पर करते है ,जो विदुर सरीखी बात करें !! ३!!
कुछ भीम , युधिस्ठिर , अर्जुन हो , जो तोड़ें उनकी जंघाए !
माना की वह थोड़े होंगे , पर शान्ति अनुशासन लाये !! ४ !!
अब आयें कुंती माँ बनकर , पांडवों से बच्चें , फिर से जने !
हर दुःख , अभाव व कुसमय में , तप करके संस्कृतिवान बने !! ५ !!
बच्चो गांडीव गदा ले लो , फिर धर्म युद्ध की बात करो .!
द्रोपदी कृष्ण अभी जिन्दा है , तुम आस रखो विश्वाश करो !! ६ !!
द्रोपदी के आँख न आंसूं हो , कुंती माँ भी अब न रोयें !
घनश्याम का संग करें बेटे , सुख शान्ति से दुनिया सोये !! ७ !!
जब भेद भाव से युक्त द्रोण , जब गुरु शिष्य परंपरा खो देंगे !
अर्जुन भी गुरु को मारेगा , एकलव्य भले ही रो देंगे !! ८ !!
हे भीष्म को गए बूढ़े तुम , चुपचाप तमाशा देखो ना !
वनवास हेतु प्रस्थान करो , अब राज सभा में बैठो ना !! ९ !!
यह, देश , समाज की बाते है , घर घर की यही कहानी है !
पांडव कौरव से युद्ध करें , युग युगांतर दोहरानी है !! १० !!
-------------- अनंत चैतन्य - लखनऊ -------------------
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