श्रमिक दिवस ( 1 मई ) पर श्रमिकों के चरणों में एक पुष्पांजलि
भरी तपिस में गिट्टी तोडूं , तब पाऊ कुछ कौर निवाला !
मंदिर मस्जिद , गिरजाघर सब , मेरे बनाये बना शिवाला !! १ !!
मंदिर में रखी हर मूरत , मेरे पसीनों से , अभिसिंचित !
लाख करोडो राज कमाते , मुल्ला पंडित पर मै वंचित !!२ !!
सेतु सड़क मै बाँध बनाता , देखे विकास मेरे दम पर !
श्रमिक हूँ , मै मेहनत की खाता , हाथों पैरों के बल पर !! ३ !!
कृपा दया की भीख न मांगूं , न ही मै मजबूर सुनो !
सदियों से वही हाल हमारा , मेहनतकश मजदूर सुनो !! ४ !!
बड़ी बड़ी कोठी कारें , वह कहते वातानुकूलित है !
धरा बिछौना , गगन की चादर तन मन मेरा धूलित है !! ५ !!
नेता , अभिनेता और प्रणेता , जो भी , बड़े समाज के !
कर न सकेगे चिंतन नर्तन , खाए बिना अनाज के !! ६ !!
कृषि कार्य मेरे ही दम पर , मै श्रमिक खेत खलिहानों का !
फिर भी मारा मारा फिरता , पंछी दूर ठिकानों का !! ७ !!
सूखे नही पसीना , पहले , उचित मजदूरी हाथ धरो !
श्रम के महत्त्व का मान रखो , बस इतना सा सम्मान करो !! ८ !!
मेरा श्रम , वैज्ञानिक बुद्धियाँ , साथ साथ अब मिल जाए !
कल, कम्प्यूटर युग का श्रम , नूतन प्रारूप में खिल जाए !! ९ !!
लोहिया गांधी सा नेता हो , इंजिनियर विश्वेशरैय्या सा !
शीर्ष पर लहराएगा तिरंगा , भारत सोन चिरैय्या सा !! १० !!
--------- अनंत चैतन्य - लखनऊ ( ०१ . ०५ . २०१३ ) ----------
भरी तपिस में गिट्टी तोडूं , तब पाऊ कुछ कौर निवाला !
मंदिर मस्जिद , गिरजाघर सब , मेरे बनाये बना शिवाला !! १ !!
मंदिर में रखी हर मूरत , मेरे पसीनों से , अभिसिंचित !
लाख करोडो राज कमाते , मुल्ला पंडित पर मै वंचित !!२ !!
सेतु सड़क मै बाँध बनाता , देखे विकास मेरे दम पर !
श्रमिक हूँ , मै मेहनत की खाता , हाथों पैरों के बल पर !! ३ !!
कृपा दया की भीख न मांगूं , न ही मै मजबूर सुनो !
सदियों से वही हाल हमारा , मेहनतकश मजदूर सुनो !! ४ !!
बड़ी बड़ी कोठी कारें , वह कहते वातानुकूलित है !
धरा बिछौना , गगन की चादर तन मन मेरा धूलित है !! ५ !!
नेता , अभिनेता और प्रणेता , जो भी , बड़े समाज के !
कर न सकेगे चिंतन नर्तन , खाए बिना अनाज के !! ६ !!
कृषि कार्य मेरे ही दम पर , मै श्रमिक खेत खलिहानों का !
फिर भी मारा मारा फिरता , पंछी दूर ठिकानों का !! ७ !!
सूखे नही पसीना , पहले , उचित मजदूरी हाथ धरो !
श्रम के महत्त्व का मान रखो , बस इतना सा सम्मान करो !! ८ !!
मेरा श्रम , वैज्ञानिक बुद्धियाँ , साथ साथ अब मिल जाए !
कल, कम्प्यूटर युग का श्रम , नूतन प्रारूप में खिल जाए !! ९ !!
लोहिया गांधी सा नेता हो , इंजिनियर विश्वेशरैय्या सा !
शीर्ष पर लहराएगा तिरंगा , भारत सोन चिरैय्या सा !! १० !!
--------- अनंत चैतन्य - लखनऊ ( ०१ . ०५ . २०१३ ) ----------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें