बुधवार, 1 मई 2013


श्रमिक  दिवस ( 1 मई ) पर श्रमिकों के चरणों में एक पुष्पांजलि

भरी तपिस में गिट्टी तोडूं , तब पाऊ कुछ    कौर निवाला !
मंदिर मस्जिद , गिरजाघर सब , मेरे बनाये बना शिवाला !! १ !!

मंदिर में रखी हर मूरत , मेरे पसीनों से ,   अभिसिंचित !
लाख करोडो राज कमाते , मुल्ला पंडित पर मै  वंचित   !!२ !!

सेतु सड़क मै बाँध बनाता , देखे विकास   मेरे  दम पर  !
श्रमिक हूँ , मै मेहनत की खाता , हाथों पैरों  के बल पर  !! ३ !!

कृपा दया की भीख न मांगूं , न ही मै   मजबूर  सुनो  !
सदियों से वही हाल हमारा  , मेहनतकश  मजदूर सुनो !! ४ !!

बड़ी बड़ी कोठी कारें  , वह कहते  वातानुकूलित   है   !
धरा बिछौना , गगन की चादर तन मन मेरा धूलित है !! ५ !!

नेता , अभिनेता और प्रणेता , जो भी , बड़े समाज के !
कर न सकेगे चिंतन नर्तन , खाए बिना   अनाज  के  !! ६ !!

कृषि कार्य मेरे ही दम पर , मै श्रमिक खेत खलिहानों का !
फिर  भी मारा   मारा   फिरता , पंछी   दूर   ठिकानों का  !! ७ !!

सूखे नही पसीना , पहले ,  उचित मजदूरी   हाथ  धरो !
श्रम के महत्त्व का मान रखो , बस इतना सा सम्मान करो !! ८ !!

मेरा श्रम , वैज्ञानिक बुद्धियाँ , साथ साथ अब  मिल जाए !
कल, कम्प्यूटर युग का श्रम ,  नूतन प्रारूप में  खिल जाए !! ९ !!

लोहिया गांधी सा नेता हो , इंजिनियर  विश्वेशरैय्या  सा !
शीर्ष पर लहराएगा तिरंगा , भारत    सोन  चिरैय्या  सा  !! १० !!

---------  अनंत चैतन्य - लखनऊ  ( ०१ . ०५ . २०१३ ) ----------

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