कुण्डलिया छंद
रंगमंच
दुनिया दिखती , रंगमंच , नाटक करते पात्र !
अलग अलग अभिनय यहाँ , सीख रहे है छात्र !!
सीख रहे है छात्र , सभी रिश्तों को निभाना !
लुका छिपी का खेल , बुन रहे तान बाना !!
किससे कितना काम , जानती चुनिया मुनिया !
मतलब की हर बात , समझती सारी दुनिया !!
*******अनंत चैतन्य - लखनऊ ********
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें