-----बुद्धं शरणम गच्छामि ----
``````````घनाक्षरी छंद````````````
( एक )
श्रेष्ठ द्वीप जम्बू द्वीप , मध्य में विशाल राज्य ,
कपिल वस्तु ,लुम्बनी है , नेपाल देश में !!
महारानी महामाया , महाराज सुद्धोदन
जन्मा है एक सुत , तेजोमयि निवेष में !!
नाम सिद्धार्थ श्रेष्ठ , ग्रह नक्षत्र अनुकूल ,
चक्रवर्ती योगाधीश , घुघराले केश में !!
यशोधरा संग हुआ , पाणिग्रहण संस्कार ,
सुत जन्म राहुल सा , सुन्दर सुवेश में !!
(दो )
राज पथ बीच देखा एक दिन विश्मित हो ,
मृत , वृद्ध , दुखी , रोगी , पड़े पशोपेश में !!
काया सूखी जीर्ण शीर्ण दुःख से दुखी मलिन ,
मानवता रहती क्यों ? कष्ट व क्लेश में !!
मन में वैराग्य उठा , चिंतन का भाव उगा
राजगृह त्यागा , गए घने वन देश में !!
फ़लगु नदी के तीर , रम गए बुद्धि धीर,
करते तपस्या बुद्ध , भिक्षुक के वेश में !!
( तीन )
हिन्दुवों में सबसे महान बुद्धिमान हुए
बुद्ध के शरण में सभी को जाना चाहिए !!
व्रत तप जप कर्मकांड से विमुक्ति नहीं
बुद्ध ने दिया जो ज्ञान अपनानाना चाहिए !!
चार आर्य सत्य है ,बताया समझाया ठीक
दुःख क्या है ?क्यों है? समझ आना चाहिए !!
भव पार कैसे करे , क्या है निर्वाण मार्ग
निज प्राण तत्त्व को , यही सुझाना चाहिए !!
( चार )
करुणा के मीत , प्रीत प्रेम के पुजारी बुद्ध
बोधि बृक्ष छाया तलेज्ञान मिला जिनको !!
शांति व् सौंदर्य सौम्य सभ्यता की शिक्षा देके
राजा भिक्षु बना ,दिया ध्यान जन जनको !!
हिंसा से अहिंसा का पुजारी बन अशोक ने भी
देशना प्रचार हेतु दान किया तन को !!
करुणा व् बोध की अवस्था देके मुक्त किया ,
दस्यु अंगुल मल ने छोड़ दिया बन को !!
----अनंत चैतन्य - लखनऊ ------
``````````घनाक्षरी छंद````````````
( एक )
श्रेष्ठ द्वीप जम्बू द्वीप , मध्य में विशाल राज्य ,
कपिल वस्तु ,लुम्बनी है , नेपाल देश में !!
महारानी महामाया , महाराज सुद्धोदन
जन्मा है एक सुत , तेजोमयि निवेष में !!
नाम सिद्धार्थ श्रेष्ठ , ग्रह नक्षत्र अनुकूल ,
चक्रवर्ती योगाधीश , घुघराले केश में !!
यशोधरा संग हुआ , पाणिग्रहण संस्कार ,
सुत जन्म राहुल सा , सुन्दर सुवेश में !!
(दो )
राज पथ बीच देखा एक दिन विश्मित हो ,
मृत , वृद्ध , दुखी , रोगी , पड़े पशोपेश में !!
काया सूखी जीर्ण शीर्ण दुःख से दुखी मलिन ,
मानवता रहती क्यों ? कष्ट व क्लेश में !!
मन में वैराग्य उठा , चिंतन का भाव उगा
राजगृह त्यागा , गए घने वन देश में !!
फ़लगु नदी के तीर , रम गए बुद्धि धीर,
करते तपस्या बुद्ध , भिक्षुक के वेश में !!
( तीन )
हिन्दुवों में सबसे महान बुद्धिमान हुए
बुद्ध के शरण में सभी को जाना चाहिए !!
व्रत तप जप कर्मकांड से विमुक्ति नहीं
बुद्ध ने दिया जो ज्ञान अपनानाना चाहिए !!
चार आर्य सत्य है ,बताया समझाया ठीक
दुःख क्या है ?क्यों है? समझ आना चाहिए !!
भव पार कैसे करे , क्या है निर्वाण मार्ग
निज प्राण तत्त्व को , यही सुझाना चाहिए !!
( चार )
करुणा के मीत , प्रीत प्रेम के पुजारी बुद्ध
बोधि बृक्ष छाया तलेज्ञान मिला जिनको !!
शांति व् सौंदर्य सौम्य सभ्यता की शिक्षा देके
राजा भिक्षु बना ,दिया ध्यान जन जनको !!
हिंसा से अहिंसा का पुजारी बन अशोक ने भी
देशना प्रचार हेतु दान किया तन को !!
करुणा व् बोध की अवस्था देके मुक्त किया ,
दस्यु अंगुल मल ने छोड़ दिया बन को !!
----अनंत चैतन्य - लखनऊ ------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें