मंगलवार, 30 अप्रैल 2013


                                                                      

प्रार्थनाएं

ह्रदय से   उठी पुकार ,       आर्त हुई !
द्रवित हुई ,संघनित हो ,  पिघल गई !!

शब्द आंसुओं के  साथ साथ बहे  !
कर्मकांड   दूर खड़े ,  वहीं   ढहे   !!

आंतरिक सरोवर का जलज खिला !
परम तत्व आत्म तत्व साथ मिला!!

वैर भाव   ओझिल    हो दूर  बहा !
द्वेष  व्    दुर्भावना का  होश कहा !!

विश्व का बंधुत्व भाव  गले लगा  !
करुणा का  झरना  भी उठा जगा !!

आत्म बल उत्कर्षित , हर्षित हो !
दयामयी अभिलाषा पुलकित हो  !!

जीवन की ज्योति ऊर्जित प्रखर हुई !
आत्मा भी  पोषित    हो मुखर हुई !!

नित नूतन प्रेममयी शुभता जगी !
प्राथनाएं मन   मंदिर होने लगी !!

*******अनंत चैतन्य - लखनऊ ********




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