प्रार्थनाएं
ह्रदय से उठी पुकार , आर्त हुई !
द्रवित हुई ,संघनित हो , पिघल गई !!
शब्द आंसुओं के साथ साथ बहे !
कर्मकांड दूर खड़े , वहीं ढहे !!
आंतरिक सरोवर का जलज खिला !
परम तत्व आत्म तत्व साथ मिला!!
वैर भाव ओझिल हो दूर बहा !
द्वेष व् दुर्भावना का होश कहा !!
विश्व का बंधुत्व भाव गले लगा !
करुणा का झरना भी उठा जगा !!
आत्म बल उत्कर्षित , हर्षित हो !
दयामयी अभिलाषा पुलकित हो !!
जीवन की ज्योति ऊर्जित प्रखर हुई !
आत्मा भी पोषित हो मुखर हुई !!
नित नूतन प्रेममयी शुभता जगी !
प्राथनाएं मन मंदिर होने लगी !!
*******अनंत चैतन्य - लखनऊ ********
ह्रदय से उठी पुकार , आर्त हुई !
द्रवित हुई ,संघनित हो , पिघल गई !!
शब्द आंसुओं के साथ साथ बहे !
कर्मकांड दूर खड़े , वहीं ढहे !!
आंतरिक सरोवर का जलज खिला !
परम तत्व आत्म तत्व साथ मिला!!
वैर भाव ओझिल हो दूर बहा !
द्वेष व् दुर्भावना का होश कहा !!
विश्व का बंधुत्व भाव गले लगा !
करुणा का झरना भी उठा जगा !!
आत्म बल उत्कर्षित , हर्षित हो !
दयामयी अभिलाषा पुलकित हो !!
जीवन की ज्योति ऊर्जित प्रखर हुई !
आत्मा भी पोषित हो मुखर हुई !!
नित नूतन प्रेममयी शुभता जगी !
प्राथनाएं मन मंदिर होने लगी !!
*******अनंत चैतन्य - लखनऊ ********
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