वाणी
कुण्डलिया छंद
वाणी प्रिय और सत्य हो , शीतल निर्मल बोल !
सार भाव संयुक्त हो , मिश्री देती घोल !!
मिश्री देती घोल , बात करिए मत तीखी !
शब्द बड़े अनमोल , स्वयं अनुभव से सीखी !
संवादों का सेतु , सुनो यह बात बतानी !
सत्य , शील , प्रिय , मधुर सदा है उत्तम वाणी !!
---अनंत चैतन्य - लखनऊ ---
कुण्डलिया छंद
वाणी प्रिय और सत्य हो , शीतल निर्मल बोल !
सार भाव संयुक्त हो , मिश्री देती घोल !!
मिश्री देती घोल , बात करिए मत तीखी !
शब्द बड़े अनमोल , स्वयं अनुभव से सीखी !
संवादों का सेतु , सुनो यह बात बतानी !
सत्य , शील , प्रिय , मधुर सदा है उत्तम वाणी !!
---अनंत चैतन्य - लखनऊ ---
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें