गुरुवार, 7 मार्च 2013




( दो दिलों की कहानी, जो मिल न पाए --एक गीत में )

----तेरे सिवा कुछ याद न आये ,  घुप्प अँधेरे में  ----

नही पड़ा कभी प्रीत प्रेम के , किसी झमेले में !
पहली बार मिले थे उससे , नितांत अकेले में !!

याद हमें जब बैठे संग संग , घर खपरेले में  !
हम दोनों में नेह भाव था , ज्यो गुरु चेले में !!

देखी प्रेम की बहती नदिया , उस अलबेले में !
पता नही कब एक हुए दिल , प्रेम के खेले में !!

क्रम एह चलता रहा मिलन का , शाम सबेरे में !
हम दोनों फिर बिछड़ गए , रूढ़िवादी मेले में  !!

छोटा उसका हाथ साथ , उस भीड़ के रेले में !
कमल तभी कुम्भलाया उस , पोखर मटमैले में !!

आशाओं का किरण दिखे , हर दिन के उजेले में !
तेरे सिवा कुछ याद न आये ,  घुप्प अँधेरे में  !!

-- --अनंत चैतन्य - लखनऊ ---

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