( दो दिलों की कहानी, जो मिल न पाए --एक गीत में )
----तेरे सिवा कुछ याद न आये , घुप्प अँधेरे में ----
नही पड़ा कभी प्रीत प्रेम के , किसी झमेले में !
पहली बार मिले थे उससे , नितांत अकेले में !!
याद हमें जब बैठे संग संग , घर खपरेले में !
हम दोनों में नेह भाव था , ज्यो गुरु चेले में !!
देखी प्रेम की बहती नदिया , उस अलबेले में !
पता नही कब एक हुए दिल , प्रेम के खेले में !!
क्रम एह चलता रहा मिलन का , शाम सबेरे में !
हम दोनों फिर बिछड़ गए , रूढ़िवादी मेले में !!
छोटा उसका हाथ साथ , उस भीड़ के रेले में !
कमल तभी कुम्भलाया उस , पोखर मटमैले में !!
आशाओं का किरण दिखे , हर दिन के उजेले में !
तेरे सिवा कुछ याद न आये , घुप्प अँधेरे में !!
-- --अनंत चैतन्य - लखनऊ ---
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