इस को जान लिया तो फिर जानने योग्य संसार में कुछ भी शेष नहीं बचाता
( गीता अध्याय ७ श्लोक २ से ५ )
हे अर्जुन ! अगर तूने विज्ञानं युक्त इस ज्ञान को बस इतना ही समझ लिया तो फिर संसार में जानने योग्य कुछ भी नहीं बचाता !
मेरी २ शक्तियां है :---
१. अपरा शक्ति ( जड़ प्रकृति )
इस शक्ति में ५ महाभूत ( पृथ्वी , जल , अग्नि ,वायु , आकाश ) और मन, बुद्धि, अहकार ! कुल ८ !!
२ परा शक्ति ( चेतन प्रकृति )
इश्वर की चेतना , जीव आत्मा !!
दोनों के मिलाप से ही सम्पूर्ण पदार्थ , जीव , श्रष्टि की रचना हुयी है ! मेरी ही सत्ता सम्पूर्ण जगत में अलग अलग रूप में व्याप्त है !
अतः इश्वर से भिन्न कुछ भी नहीं ! न मै , न आप , न कोई विचार , न ज्ञान न अज्ञान आदि आदि !!
इस को गोस्वामी तुलसी दास जी ने सरल शब्दों में कहा ~~~~""सिय राम मय सब जग जानी ""
इस का अभ्यास कर लेना ही इश्वर रूप बन जाना है !! जब इतना आसान रास्ता है तो क्यों हम व्यर्थ में ज्ञान के विवादों , बहसों में पड़े !!
इश्वर तुल्य मेरे मित्रो को नमन !!
स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ
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