मेरा बचपन
कभी कभी मेरा बचपन
आ जाता है
मेरे साथ खेलने
उसका आना अच्छा लगता है !!
कभी इस पचपन ( age )से
मेरा बचपन रूठ जाता है
फिर कई दिनों तक मिलने नहीं आता है
कभी कुछ अजीब से
सवाल भी पीछे छोड़ जाता है??
जैसे ,
तुम इतने रूखे से ,
उदास से क्यों हो ?
खिलखिला कर हसते भी नहीं !
बात बात में मेरी तरह रूठते भी नहीं !
गुमसुम से क्यों रहते हो ?
मेरी तरह तुम भी खिलखिलाया करो !
छोटी छोटी बातों से सुख पाया करो !!
~~~अनंत चैतन्य , लखनऊ ~~~~
कभी कभी मेरा बचपन
आ जाता है
मेरे साथ खेलने
उसका आना अच्छा लगता है !!
कभी इस पचपन ( age )से
मेरा बचपन रूठ जाता है
फिर कई दिनों तक मिलने नहीं आता है
कभी कुछ अजीब से
सवाल भी पीछे छोड़ जाता है??
जैसे ,
तुम इतने रूखे से ,
उदास से क्यों हो ?
खिलखिला कर हसते भी नहीं !
बात बात में मेरी तरह रूठते भी नहीं !
गुमसुम से क्यों रहते हो ?
मेरी तरह तुम भी खिलखिलाया करो !
छोटी छोटी बातों से सुख पाया करो !!
~~~अनंत चैतन्य , लखनऊ ~~~~
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें