शनिवार, 14 जनवरी 2012

मेरा बचपन

मेरा बचपन

कभी कभी मेरा बचपन
आ जाता है
मेरे साथ खेलने
उसका आना अच्छा लगता है !!

कभी इस पचपन ( age )से
मेरा बचपन  रूठ जाता है
फिर कई दिनों तक मिलने नहीं आता है
कभी कुछ अजीब से
सवाल भी पीछे छोड़ जाता है??
जैसे ,
तुम इतने रूखे से ,
उदास से क्यों  हो ?
खिलखिला कर हसते भी नहीं !
बात बात में मेरी तरह रूठते भी नहीं !

गुमसुम से क्यों रहते हो  ?
मेरी तरह तुम भी खिलखिलाया करो !
छोटी छोटी बातों से सुख पाया करो !!

~~~अनंत  चैतन्य , लखनऊ ~~~~




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