गुरुवार, 27 सितंबर 2012


अनाथ मानवता

अनाथालयों में
रोती , बिलखती
अनाथ मानवता !!

सड़कों के किनारों पर
सर्दियों में ठिठुरती
गर्मियों की तपिस में तपती
पंगु सामाजिकता  !!

घरों में भी तो
बूढ़े माँ बाप
पिस रहे है
खुद की ही संतानों के बीच
कौन करे देखभाल
और संभाल 
गन्दी हुयी मानसिकता  !!

मानवता अनाथ न हो
और दम न घोटे !
विषय की गंभीरता पर
आगे बढे , कुछ सोचे !!

--स्वामी अनंत चैतन्य -- लखनऊ ---






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