मंगलवार, 25 सितंबर 2012

खुशियों का रिमोट

अपनी खुशियों का रिमोट
क्यों दूं , किसी के हाथ !
जो मन पसंद चैनल की तरह
मेरे जज्बातों को बदलता रहे !!

नहीं बनाना है मुझे
किसी की हाथों की कठपुतली
जो मनमाने तरीके से
कभी राजा तो कभी रंक का
किरदार बदलता रहे !!

नहीं डाला मैंने
अपने मन के
कंप्यूटर पर
ऐसे  सॉफ्टवेर
जिस पर कोई भी बार बार
प्रोग्राम बदलता रहे !!

मेरे अपने सिस्टम में
अपनी दुनिया बनायीं है
जिसमे प्रवेश का अधिकार
मेरी आज्ञानुसार है !

मेरी दुनिया की अलग ही प्रकृति  है
जिसमे झर झर झरने
कल कल नदिया
सुरभित बगिया
किलोरे मारते हिरन और उनके छौने
गुंजित भौरे , नाचते मोर , चहकते चकोर
मेरे ह्रदय के झील में
खिले हुए पंकज
विचरते राजहंस
चंदा की परछाई
कूल पर विचरती परियां
मंद पवन है !!
तुम आ सकते हो , आओ ...
किन्तु शुद्ध और सरल भाव से
मेरी चैतन्यता में तुम भी खो जाओ  !!

----स्वामी अनंत चैतन्य --लखनऊ ---


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