सोमवार, 2 अगस्त 2010

रुद्राष्टकम

श्री गणेशाय नमः
ॐ नमः शिवाय


ॐ सदा शिवाय

श्री सद गुरुवे नमः
( सम्बुद्द रहस्यदर्शी एवम संस्थापक अनंत पथ )





प्रिय मित्रो ,

                 सद गुरु श्रद्धेय श्री कुणाल कृष्ण जी की प्रेरणा से सावन माह के प्रथम सोमवार में  भगवान् रूद्र ( शिव ) के चरणों में श्री गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित रुद्राष्टक प्रस्तुत है ! कृपया स्तुति कर शिव की अनंत कृपा पाए .....



रुद्राष्टकम


नमामीशमीशान            निर्वाणरूपं             विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् !
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं        चिदाकाशमाकाशवासं भजेङहम् !! 1 !!


निराकारमोंकारमूलं              तुरीयं              गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् !
 करालं           महाकालकालं कृपालं         गुणागारसंसारपारं नतोङहम् !! 2 !!


तुषाराद्रिसंकाशगौरं                      गभीरं             नोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरम् !
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी        चारुगंगा     लसदभालबालेन्दुकण्ठे भुजंगा !! 3 !!


चलत्कुण्डलं         भ्रुसुनेत्रं                विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् !
मृगाधीशचर्माम्बरं     मुण्डमालं           प्रियं     शंकरं सर्वनाथं भजामि !! 4 !!


प्रचण्डं   प्रकृष्टं   प्रगल्भं    परेशं             अखण्डं     अजं   भानुकोटिप्रकाशम् !
त्रयः   शूलनिर्मूलनं   शूलपाणिं     भजेङहं      भावानीपतिं    भावगम्यम्!! 5 !!


कलातिकल्याण              कल्पान्तकारी          सदा सज्जनान्ददाता पुरारी !  
चिदानंदसंदोह        मोहापहारी      प्रसीद      प्रसीद     प्रभो मन्मथारी !!6 !!


न यावद           उमानाथपादारविन्दं    भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् !
न    तावत्सुखं   शान्ति    संतापनाशं   प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् !! 7 !!


न जानामि योगं जपं            नैव पूजां नतोङहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् !
जरजन्मदुःखौ        घतातप्यमानं    प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो !! 8 !!

रुद्राष्टक महिमा

रुद्रष्टकमिदं     प्रोक्तं विपेण हरतुष्टये ,          ये पठन्ति    नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति


( इति श्री गोस्वामी तुलसीदास कृतं श्री रुद्राष्टकम् संपूर्णं  )

भगवान् के शिव के चरणों में अर्पित


संकलन कर्ता
अनंत पथ का पथिक

स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ

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