श्री गणेशाय नमः
ॐ नमः शिवाय
ॐ सदा शिवाय
श्री सद गुरुवे नमः
( सम्बुद्द रहस्यदर्शी एवम संस्थापक अनंत पथ )
प्रिय मित्रो ,
सद गुरु श्रद्धेय श्री कुणाल कृष्ण जी की प्रेरणा से सावन माह के प्रथम सोमवार में भगवान् रूद्र ( शिव ) के चरणों में श्री गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित रुद्राष्टक प्रस्तुत है ! कृपया स्तुति कर शिव की अनंत कृपा पाए .....
रुद्राष्टकम
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् !
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेङहम् !! 1 !!
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् !
करालं महाकालकालं कृपालं गुणागारसंसारपारं नतोङहम् !! 2 !!
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं नोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरम् !
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगंगा लसदभालबालेन्दुकण्ठे भुजंगा !! 3 !!
चलत्कुण्डलं भ्रुसुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् !
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि !! 4 !!
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् !
त्रयः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं भजेङहं भावानीपतिं भावगम्यम्!! 5 !!
कलातिकल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनान्ददाता पुरारी !
चिदानंदसंदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी !!6 !!
न यावद उमानाथपादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् !
न तावत्सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् !! 7 !!
न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोङहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् !
जरजन्मदुःखौ घतातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो !! 8 !!
रुद्राष्टक महिमा
रुद्रष्टकमिदं प्रोक्तं विपेण हरतुष्टये , ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति
( इति श्री गोस्वामी तुलसीदास कृतं श्री रुद्राष्टकम् संपूर्णं )
भगवान् के शिव के चरणों में अर्पित
संकलन कर्ता
अनंत पथ का पथिक
स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ
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