मंगलवार, 3 अगस्त 2010

शिव स्तुति

श्री सद गुरुवे नमः

 
    



 सदगुरु श्रदेय श्री कुणाल कृष्ण
( सम्बुद्द रहस्यदर्शी एवम संस्थापक अनंत पथ )


भगवान शिव द्वारा भगवान राम की स्तुति

जय राम रमारमनं समनं
भवताप भयाकुल पाहि जनं

अवधेस सुरेस रमेस बिभो
सरनागत मागत पाहि प्रभो 

 दससीस बिनासन बीस भुजा
कृत दूरि महा महि भूरि रुजा

रजनीचर बृंद पतंग रहे
सर पावक तेज प्रचंड दहे

माहि मंडल मंडन चारुतरं
धृत सायक चाप निषंग बरं

मद मोह महा ममता रजनी
तम पुंज दिवाकर तेज अनी

मनजात किरात निपात किये
मृग लोग कुभोग सरेन हिये

हति नाथ अनाथनि पाहि हरे
बिषया बन पावर भूलि परे

बहु रोग बियोगन्हि लोग हए
भवदंघ्री निरादर के फल ए

भव सिन्धु अगाध परे नर ते
पद पंकज प्रेम न जे करते

अति दीन मलिन दुखी नितहीं
जिन्ह के पद पंकज प्रीति नहीं

अवलम्ब भवंत कथा जिन्ह के
प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह के

नहीं राग न लोभ न मान मदा
तिन्ह के सम वैभव वा बिपदा

एहि ते तव सेवक होंत मुदा
मुनि त्यागत जोग भरोस सदा

करी प्रेम निरंतर नेम लिए
पद पंकज सेवत सुद्ध हिएँ

सम मानि निरादर आदरही
सब संत सुखी बिचरंति मही

मुनि मानस पंकज भृंग भजे
रघुबीर महा रनधीर अजे

तव नाम जपामि नमामि हरि
भाव रोग महागद मान अरी

गुण सील कृपा परमायतनं
प्रनामामी निरंतर श्रीरमनं

रघुनंद निकंदय द्वन्द घनं
महिपाल बिलोकय दीन जनम !!



बार बार बार मागों हरषी देहु श्रीरंग
पद सरोज अनपायनी भगति सदा सत्संग

बरनि उमापति राम गुण हरषि गए कैलाश
तब प्रभु कपिन्ह दिवाए सब बिधिसुखप्रद बास

( राम चरित मानस -- उत्तरकाण्ड – दोहा 14 )


 
सदगुरु के चरणों में कोटिशः नमन बंदन
अनंत पथ का पथिक
स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ



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