श्री सदगुरुवे नमः
सदगुरु श्रद्धेय श्री कुणाल कृष्ण
( सम्बुद्ध रहस्यदर्शी एवम संस्थापक अनंत पथ )
कौन हूँ मै ?
( मेरे मन की पीड़ा एक कविता के रूप में )
एक यक्ष प्रश्न
बार बार उठता है,
मेरे अचेतन से
कौन हूँ मै ?
आया यहाँ
काम क्या था ?
खोज रहा हूँ उत्तर
अपने अंतरतम में !
दिन रात बीत रहा
काल चक्र घूम रहा
पल पल हो रहा व्यथित
अनंत पथ का यह पथिक
स्वयं को खोज सकू
तन न रहे
मन न रहे
मेरे में " मै " न रहे
सुगंध बन जाए मलय
बूँद सागर में गिर के !
शून्य में विलीन होकर
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सदगुरु देव के चरणों में समर्पित एक पुष्पांजलि
अनंत पथ का एक पथिक
स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ
Adbhut fufaji adbhut
जवाब देंहटाएंyahi jewan ka mool prashn hai.uttar dhoondhne me puri jingagi beet jati hai. yadi guru kripa ho uttar pratyaksh hai. samne hi to lakshy hai. a very good article. Thanks.
जवाब देंहटाएंआदरणीय तिवारी साहेब,
जवाब देंहटाएंप्रणाम
बहुत अच्छी लगी आप की टिपण्णी ..गुरु कृपा और आप स्नेही जानो का प्रेम मिला तो शायद यह उत्तर मिल भी जाए !
बहुत बहुत धन्यवाद दिशा दर्शन का
dhnyavaad rahul ji
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