सावन
सावन
मनभावन
सदासुहावन,
और बहुत कुछ क्या क्या बोलूँ
यादे बहुत है तेरे साथ
थोड़ी ज्ञात
बहुत अज्ञात
तेरे साथ
मेरे श्रजन की
एक कहानी है
मेरा जीवन दाता
निर्माता
भाग्यविधाता
तू ही तो है
सारे प्रकृति का शिल्पकार तू
कितने बीज अंकुरित हो
जीवन पाते है
मिटते है
लेते आकार,
एक वृहद् बृक्ष का
एक बीज मै था
जिसने जीवन पाया
बना पेड़ तिरपन का ( ५३ yrs old )
गाव था छोटा
उस मिटटी में
हुआ अंकुरित
सावन ही था
प्रातः की अमृत बेला थी
जब दुनिया में
पहली पहली साँसे थी वह
....रोमांचित स्पर्श मिला था
पुस्तैनी पुरूखो का घर था
अन्धकार था
उस कोठारी में
मद्धम मद्धम दिया जल रहा था
कोने में
माँ की पीड़ा माँ ही जाने
और समझ नहीं सकता कोई
मै भी रोया माँ भी रोई
मुझ से पहले भी कितनो ने
जीवन पाया उसी जगह पर
अन्धकार जीवन दाता है
पहले पहले पता चला यह
कोख मातु की भी तो गहरा अन्धकार है
मेरा नाम पड़ा तो श्रवण
उसका भी कारण मै जाना
मास श्रावण था
श्रावण का ही शुभ नछत्र था
घर वालो ने थाली ठोकी
खूब बजाया
बेटा घर में हुआ
कुल में चिराग एक आया
धीरे धीरे पला बढ़ा
माँ बाबू की गोदी में
काका काकी दादा दादी
सब ने सींचा संस्कारों से
किसने कितना पानी डाला
और दी कितनी खाद
पता नहीं है ,
और नहीं रखा जा सकता
इन रिश्तों का हिसाब
धीरे धीरे बड़ा हुआ कुछ
समझ भी आई
जब जब आता सावन यादे ताजा होती
अभी याद है
सावन में झूले से गिरना
चोट लगी थी मेरे सिर में
सावन ने ही घाव भरे थे
सावन आता
मन हर्षाता
सुन्दर सुरभित बागों में
गूंजते भ्रमर
मधुकर
नाचते मोर मोरनी
हर्षित गाये पशु पक्षी
कलरव करते खग
चातक रटत पीउ पीउ
चितवत चन्द्र चकोर
कूँ कूँ करत कोयलिया काली
अहा ! वह सुन्दरतम था
तेव्हारों का मौसम आता
"गुडिया" नागपंचमी आती
हरी भरी धरती
गावो में मस्ती छाती
धीरे धीरे बड़ा हुआ मै
गाँव भी छूटा , खेत और खलिहान भी छूटे
चौपालों की मस्ती छूटी
आजीविका मुझे ले आई
कंक्रीट के जंगल में
यहाँ शहर की काली सड़के
मुझे चिढ़ाती
मोटर गाडी की पों पों
अब मुझे न भाती
पर
सावन ज़ब जब आता है
खुशिया भी आती है
यादें ताजा होती
मन को हर्षाती है
सावन तुम आते ही रहना
जीवन में तब तक
जब तक वृक्ष विराट न बन जाऊ मै
लोगों को छाया दू
पीड़ा हरूँ
रक्षक बनूँ
प्रकृति का
दृष्टा बन सावन को देखूं
झूमू नाचू मस्त हवा में
करू साधना , सेवा सब की
किन्तु ,
कभी न पूजा जाऊ
इस अनंत पथ का रही बन
प्रेम करूं सबसे
स्वयं में प्रेमपूर्ण हो जाऊ
यह मेरे जीवन की पहली कविता है , जो कोई त्रुटियाँ हो पाठक छमा करेंगे , उत्साह वर्धन करेंगे इसी कामना के साथ
अपने प्यारे सदगुरु को समर्पित
अनंत पथ का एक पथिक
स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ
०१-०८-२०१०
are fufaji mast hai
जवाब देंहटाएंdhanyavaad rahul ji
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