श्री गणेशाय नमः
नवधा भक्ति
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा . दुसरि रति मम कथा प्रसंगा ..
गुर पद पंकज सेवा तिसरी भगति अमान .
चौथि भगति मम गुण गन करई कपट तजि गान ..
मंत्र जाप मम दृढ बिश्वाशा . पंचम भजन सो बेद प्रकाशा ..
छठ दम सील बिरति बहु करमा . निरत निरंतर सज्जन धरमा ..
सातव सम मोहि मय जग देखा . मोते संत अधिक करि लेखा ..
आठव जथा लाभ संतोषा . सपनेहु नहीं देखे पर दोषा ..
नवम सरल सब सं छलहीना . मम भरोस हिय हरस न दीना
---राम चरित मानस , अरण्य काण्ड
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