शनिवार, 10 जुलाई 2010

THANKS TO GOD

श्री गणेशाय नमः

श्री सद गुरुवेनमः


मित्रो ,

यह मेरा पहला ब्लॉग है , जहाँ मै अपनी बाते अपनों से कर रहा हूँ । आशा है आपको अपनापन लगेगा ।

सबसे पहले मै इश्वर को धन्यवाद् देना चाहता हूँ ।


परमेश्वर को धन्यवाद् देना कभी भूले



इस बात पर क्या हमने कभी विचार किया है कि पूरे अंतःकरण से इश्वर को धन्यवाद दिया है । उत्तर स्वयं में ही ढूँढना है । इश्वर ने पूरे जगत के सम्पूर्ण प्राणी , जड , चेतन , सम्पूर्ण कण कण को किस तरह से ध्यान रखा है ।

भगवान् ने सारे महत्व के कार्य किसी के सहारे नहीं छोड़े जैसे खाने का काम उसने व्यक्ति को दिया लेकिन अन्य कार्य जैसे भूख पैदा करना , खाना पचाना , स्वास लेना , ह्रदय धडकना आदि आदि --- स्वयं अपने हाथे में लिए । सोचो अगर एह कार्य भगवान् व्यक्ति पर छोड़ देता तो जरूर ही कोई गलती कर जाता ।

यह प्रकृति , हरी भरी धरती , नीला गगन , चहचहाते पक्षी , मुस्कुराते फूल , सुन्दर एवं विशाल समुन्दर किस ने बनाये है । यह कौन चित्रकार है , कौन कल्पनाकार और शिल्पी है .... निश्चित ही वह और कोई नहीं भगवान् के सिवाय । दिन में प्रकाश , रात्री में चांदनी की नरम शीतलता रितुवो में समयानुसार परिवर्तन , भाति भाति की वनस्पतीय और न जाने क्या क्या सर्जन करता ने हमारे लिए उपलभध कराये है , कितना ध्यान रखा है हम सभी का ।

अंत में केवल इतना ही की हमें निरंतर उसकी कृपा का अनुभव करते रहना चाहिए । पूर्ण कृतज्ञता से उसका धन्यबाद करता रहना चाहिए ..बस इतनी सोच हमें कहा से कहा पंहुचा देगी शायद हमे इसका अंदाजा तक नहीं । यदि प्रतिपल यह याद रखना संभव न हो सके तो कम से कम एक समय नकाल कर उसकी प्रतिपल बरसती कृपा का धन्यवाद अवश्य ही करे ।

प्रणाम

स्वामी अनंत चैतन्य

लखनऊ



















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