बुधवार, 14 जुलाई 2010

संकल्प में विकल्प नहीं

श्री गणेशाय नमः

संकल्प में विकल्प नहीं


                           वैदिक परंपरा में किसी भी कर्म काण्ड , पूजन के पूर्व एक विधान किया जाता है जिस  क्रिया को संकल्प करना कहते है ! भगवान् विष्णु को साक्षी एवं उनकी आज्ञा मान कर अमुक नाम ,अमुक गोत्र,  अमुक स्थान अमुक तिथि , वार, समय ,नछत्र  आदि का नाम लेकर एक विशेष कार्य को पूर्ण करने हेतु  कार्य को उधृत करते हुए प्रतिज्ञा ली जाती है !  यह प्रक्रिया पुरोहितो द्वारा अथवा स्वं ही की  जाती  है ! इसके पीछे उद्देश्य यह की कैसी भी परिस्थितिया हो इस कार्य को करना है एवं इस का कोई विकल्प नहीं सोचना है !
                           संकल्प अर्थात देवताओं , पृकृति , ग्रह , नछत्र , समय को साक्षी मान कर की गयी प्रतिज्ञा जिसका उद्देश्य उस कार्य की पूर्णता तक प्रेरणा देना  है .संकल्प छोटे हो या बड़े व्यक्ति को महानता तक ले जा सकते है ! 
                          संकल्प शक्ति के बल पर ही सैकड़ो , हजारो वर्ष के बाद भी आज राजा हरिश्चंद्र , भगवान् राम , दानवीर कर्ण , भीष्म पितामह , राजा भोज आदि आदि महापुरुष हमारे परम आदर्श और प्रेरणा श्रोत है ! वर्तमान समय में महात्मा गाँधी के संकल्प शक्ति से कौन परिचित नहीं ! भक्त शिरोमणि हनुमान जी का मुख्य सूत्र ही सेवा और संकल्प था सारे समय " राम काजू कीन्हे बिनु मोहि कहा विश्राम " के संकल्प के साथ भगवान् श्री राम का कार्य अनवरत करते रहे और उनसे ज्यादा ऊर्जावान कौन है ..यह संकल्पशक्ति का ही बल था !
                       जहा संकल्प के साथ विकल्प आया वाही संकल्प कमजोर हुवा एवं कार्य की पूर्णता पर प्रश्न चिन्ह लग गया  !  पर्वतारोहण में मंजिल तक पहुचने के प्रायः २ मार्ग होते है ,एक वह जिसमे केवल ऊपर ही जा सकते है जो सीधा लेकिन बहुत कठिन दूसरा लम्बा रास्ता अपेक्षाकृत सुगम , किन्तु पर्वतारोही पहला रास्ता ही चुनना पसंद करते है जिससे ऊपर चढाने में विकल्प का द्वार कम से कम रहे  ! यह मनोदशा उसे मंजिल पर पंहुचा देती है ! इसी तरह लडाई के मैदान में सबसे आगे वाले सैनिको को पीछे वापस आने का विकल्प नहीं छोड़ा जाता !.केवल do or die  का सिद्धांत !  सारे रोमांचक खेलो में इसी तरह का संकल्प होता  है !
                     आज जीवन में कोशिश करते है , देखते है , आदि टालने वाले शब्दों  का प्रयोग आम हो गया  है जिनसे बचना चाहिए ,  इसके स्थान पर करूंगा आदि शब्दों का प्रयोग संकल्प शक्ति को मजबूती प्रदान करते है ! प्रारंभ छोटे छोटे संकल्पों से करना चाहिए फिर वही संकल्प जीवन को उचित दिशा दिखा देते है !
                     ज्यादा कुछ न कहते हुए बस इतना ही कि संकल्पों में विकल्पों कि खोज न करे ....


प्रणाम
स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ





2 टिप्‍पणियां:

  1. आप को बहुत बहुत साधुवाद , आप ने समय निकाल कर मेरी रचना को पढ़ा . उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से आभार

    प्रणाम

    स्वामी अनंत चैतन्य

    जवाब देंहटाएं