शुक्रवार, 4 मार्च 2011

असली खजाना



भूत भूत बन गया !
भविष्य का पता नहीं
वर्तमान के इस क्षण को  
जीवन के
हर एक कण को
हर पहलू  के  दृष्टा  बन जाओ  
कही कोई छूट  न जाये
इसमें कोई चूक न जाए
यही अपार सम्पदा है !
खुशियाँ है !
बटोर लो , जितनी मिल सकें 
यहीं से 
भविष्य की नीव का पत्थर 
धरा जाना है !
यही तो असली  खजाना है  !!

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