हे प्रभु ! क्या मै भेट करूं ?
हे प्रभु ! मुझ को तुम्ही बताओ ,
तुमको क्या मै भेंट करूं !!
अभिलाषा मन में जागृत हुई,
तेरे चरणों में कुछ तो धरूं !!
मेरा क्या है ? ढूँढ रहा हूँ ,
जिससे तेरी पूजा करूं !!
दृष्टी जिधर भी फेर रहा हूँ ,
सब तेरा , अब मै क्या करूं ?
घर परिवार पुत्र दारा धन ,
तेरी कृपा से मुझे मिले !
जिसको मैंने स्वयं रचा हो ,
दिखे तो , उसको भेंट करूं !!
हाँ प्रभु ! अभी याद आया कुछ ,
इनको मैंने स्वयं गढ़े !
सींच खाद दे इन्हें सहेजा ,
बगिया ( ह्रदय )के विष वृक्ष नए !!
अहंकार , ईर्षा , प्रमाद , मद ,
निष्ठुरता , वासना बड़े !
प्रभु ! सारे स्वीकार करो अब ,
यही कमाई भेंट करूं ! !
शेष मेरा कुछ भी न रहे अब ,
पूँजी सारी शून्य करूं !
अनंत पथ का पथिक बनू ,
अस्तित्व संग बहता ही रहूँ !!
स्वामी अनंत चैतन्य
( अनंत पथ का पथिक )
लखनऊ
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