शुक्रवार, 18 मार्च 2011

सर्वोच्च कृति भगवान् की (इंसान) है !!


इंसान की कृति को , तुम इश्वर मानते हो !
भगवान् की कृति को , नहीं पहचानते हो !!

उलझे पड़े हो तुम , प्रसाद फूल पात में !
इंसानियत का भेद करते , धर्म जात से !!

इंसान है इंसानियत  की पूजा कर पहले !
पत्थर जबाब देते नहीं , चाहे जो कह दे  !!

पहले करो तुम प्यार खुद से खुदा तुझ में है !
हर दिल में वह बसता है , नहीं जुदा तुझसे है !!

करूणा , दया और प्रेम को ,  विस्तार देता चल !
सर्वोच्च कृति भगवान् की,  तो प्यार से ही मिल !!

  स्वामी अनंत चैतन्य
( अनंत पथ का एक पथिक )
       लखनऊ 

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