( दि. ११.३.२०११ में जापान में आई भयानक त्रासदी (सुनामी ) से दुखी होकर लिखे उदगार )
हे प्रशांत ! तू अशांत क्यों हुआ
हाय तूने क्या किया !!
मानवता के विनाश में ,
एक पन्ना फिर से तेरा जुड़ गया !
तू गंभीर है , अधीर क्यों हुआ ,
हाय तूने क्या किया !!अनगिनत जीवन मिटा कर ,
काल तांडव कर गया ! !
हे प्रभु !
करूणा करो अब !
द्रवित हो ,
सूखे ह्रदय में ,
खुशिया भरो अब !!
स्वामी अनंत चैतन्य
( अनंत पथ का एक पथिक )
लखनऊ
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