अकेला हूँ
लम्बा सफ़र है !
साथी आते जायेंगे
कुछ पल साथ चल कर
फिर छूट जायेंगे !
अकेले ही चलना नियति है !
निरंतर चलते रहना, पथ की गति है !
चाहो तो थाम लो
मेरा हाथ !
कुछ कदम ही सही
चल लेंगे साथ साथ !
कुछ खुशी,कुछ विरह भरी
होंगी अन्तरंग बात !
चलना होगा अकेले ही सबको
पता नहीं अभी कितनी आएँगी
अमावस भरी रात !
आओ , कुछ पल ही सही
चले साथ साथ !
- स्वामी अनंत चैतन्य
( अनंत पथ का पथिक )
लखनऊ
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