शुक्रवार, 25 मार्च 2011

सृजन !





सृजन 
( दिव्य ऊर्जा का एक नृत्य )

सृष्टी के सृजना ने
पुरुष पृकृति मैथुन से
सुन्दरतम रचना रची 
पूर्ण समग्रता  में !

नर नारी रूप था वह
ईश्वरीय दृष्टी में 
आगे की सृष्टी हेतु
आवश्यक तत्त्व था !

दोनों मिलेंगे जब
पूर्णता तभी संभव
ऊर्जा जगत में इसे
दो धुवीय  कहते है !

पञ्च तत्व मिलते जब 
अलग संरचना में 
नियम  यही मूल है 
इश्वरीय रचना में !

इडा और पिंगला  का 
अद्भुत संयोग है यह
कुण्डलिनी शक्ति का यह 
चैतन्य नृत्य है !

भैरवी और भैरव का 
अलौकिक सम्भोग है यह 
साधना का मंत्र और ,
यन्त्र तंत्र योग है !

शिव न मिले शिवा से 
तो शव बन जाते है
शिवा संग मिलते ही 
ब्रह्म कहलाते है  !

1 टिप्पणी:

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    डंके की चोट पर

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