सृजन
( दिव्य ऊर्जा का एक नृत्य )
सृष्टी के सृजना ने
पुरुष पृकृति मैथुन से
सुन्दरतम रचना रची
पूर्ण समग्रता में !
नर नारी रूप था वह
ईश्वरीय दृष्टी में
आगे की सृष्टी हेतुआवश्यक तत्त्व था !
दोनों मिलेंगे जब
पूर्णता तभी संभव
ऊर्जा जगत में इसे
दो धुवीय कहते है !
पञ्च तत्व मिलते जब
अलग संरचना में
नियम यही मूल है
इश्वरीय रचना में !
इडा और पिंगला का
अद्भुत संयोग है यह
कुण्डलिनी शक्ति का यह
चैतन्य नृत्य है !
भैरवी और भैरव का
अलौकिक सम्भोग है यह
साधना का मंत्र और ,
यन्त्र तंत्र योग है !
शिव न मिले शिवा से
तो शव बन जाते है
शिवा संग मिलते ही
ब्रह्म कहलाते है !
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डंके की चोट पर